आप लोग अक्सर सोचते होगे कि “Public limited company क्या होती है?”, “Public limited company के advantages तथा disadvantages क्या होते हैं?” तथा “पब्लिक लिमिटेड कंपनी किसे बनानी चाहिए?”|
इस पोस्ट में आपको इन्ही सवालों का जवाब मिलेगा|
तो चलिए दोस्तों!! शुरु करते हैं!!
पब्लिक लिमिटेड कंपनी क्या होती है?
जैसा कि इसके नाम से जाहिर हो रहा है पब्लिक लिमिटेड कंपनी|
यानी कि वह कंपनी जिसमें आम जनता की भी हिस्सेदारी होती है| इसलिए इसे पब्लिक लिमिटेड कंपनी कहा जाता है|
पब्लिक लिमिटेड कंपनी में शेयर होल्डर्स की संख्या बहुत अधिक हो सकती हैं|
Governing rule
पब्लिक लिमिटेड कंपनी भी कंपनी एक्ट 2013 के अंतर्गत ही आती है|
पब्लिक लिमिटेड कंपनी में कितने डायरेक्टर्स होने चाहिए?
किसी भी पब्लिक लिमिटेड कंपनी में कम से कम 3 डायरेक्टर होने चाहिए|
पब्लिक लिमिटेड कंपनी में कितने शेयर होल्डर होने चाहिए?
किसी भी पब्लिक लिमिटेड कंपनी में कम से कम 7 शेयर होल्डर होने ही चाहिए| पब्लिक लिमिटेड कंपनी में अधिकतम कितने भी शेयरहोल्डर्स हो सकते हैं|
पब्लिक लिमिटेड कंपनी कैसे बनायें?
मैं इसमें सिंपल स्टेप्स के माध्यम से आपको पब्लिक लिमिटेड कंपनी खोलने का तरीका बता रहा हूं|
1- पब्लिक लिमिटेड कंपनी का भी रजिस्ट्रेशन एक अपनी अलग कानूनी पहचान (separate legal entity) के रूप में ही होता है|
2- इसका मिनिस्ट्री ऑफ़ कॉरपोरेशन अफेयर्स (MCA) के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन होता है|
3- Registrars of Companies (ROC) के अंतर्गत इसके सभी अनुपालन (compliances) का ब्यौरा होता है|
4- कम से कम 7 लोग होने चाहिए| इन्हें हम प्रमोटर भी कह सकते हैं|
5- इन सातों लोगों के ऐड्रेस प्रूफ, आईडी प्रूफ, लेटेस्ट बैंक स्टेटमेंट, लेटेस्ट कंपनी रजिस्टर्ड ऑफिस प्रूफ (बिजली का बिल, किराए की जगह तो रेंट एग्रीमेंट)
6- यह तीन डाक्यूमेंट्स बनाने पड़ेंगे- मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन, आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन, प्रस्पेक्टस
7- जब तक पब्लिक लिमिटेड कंपनी को स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड नहीं करा लिया जाता तब तक शेयरधारकों की संख्या 200 से ऊपर नहीं जा सकती|
Advantages of public limited company
पब्लिक लिमिटेड कंपनी खोलने के क्या फ़ायदे होते हैं?
1- शेयर होल्डर्स की संख्या (Number of shareholders)
कोई भी कंपनी धन इकट्ठा करने के लिए बॉन्ड, डिबेन्चर, बैंक लोन तथा शेयर का सहारा लेती है|
केवल पब्लिक कंपनी ही आम जनता के बीच शेयर को जारी कर सकती है| इसके लिए वह कंपनी का प्रस्पेक्टस जारी करती है|
पब्लिक लिमिटेड कंपनी में प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह शेयर होल्डर्स की अधिकतम संख्या निर्धारित नहीं की गई है|
इस कारण से यदि कंपनी को बहुत अधिक धनराशि भी जुटानी हो तो वह आसानी से आम जनता के बीच जाकर शेयर के माध्यम से आसानी से धन इकट्ठा कर सकती है|
निम्न में से कोई भी पब्लिक के बीच जाकर शेयर को नहीं बेच सकती|
2- स्टॉक एक्सचेंज लिस्टिंग
केवल पब्लिक लिमिटेड कंपनी ही स्टॉक एक्सचेंज में अपने लिस्टिंग करा सकती है| यानी कि वह अपने शेयरों को स्टॉक एक्सचेंज में दर्ज करा सकती है| जिनसे कि उनकी खरीद-फरोख्त हो सके|
आपने अक्सर सुना होगा फलां-फलां कंपनी का आईपीओ आ रहा है!! फलां कंपनी का IPO (Initial public offering) डेढ़ सौ गुना सब्सक्राइब हो गया!! अब ज्यादा सब्सक्राइबर होने पर कंपनी लॉटरी सिस्टम द्वारा शेयर अलॉटमेंट करेगी| काश! की मेरा भी नंबर लग जाए!!
3- शाश्वत उत्तराधिकार (Perpetual succession)
किसी भी LLP (limited liability partnership), या प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह पब्लिक लिमिटेड कंपनी में भी Perpetual succession का नियम लागू होता है| जिससे कि पब्लिक लिमिटेड कंपनी पर भी लोगों का भरोसा बढ़ जाता है|
4- सीमित दायित्व (Limited liability)
किसी भी कंपनी के संदर्भ में Limited liability का अर्थ होता है: “शेयर होल्डर की लायबिलिटी केवल उनके शेयर तक ही लिमिटेड होती है| कंपनी के बैंक करप्ट होने पर उन्होंने जितने शेयर लिए केवल उनका उतना ही पैसा जाएगा| उनकी किसी प्रकार की निजी संपत्ति से वसूली नहीं की जा सकती”
5- पब्लिक के द्वारा धन इकट्ठा करना (Public Investment)
इस प्रकार की कंपनी में आप बहुत ज्यादा धन इकट्ठा कर सकते हैं| यदि को धन की आवश्यकता बहुत ज्यादा है तो कंपनी को स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट किया जा सकता है तथा आम जनता से शेयर तथा डिवेंचर के माध्यम से धन इकट्ठा किया जा सकता है|
6- शेयरों का हस्तांतरण (Transfer of shares)
पब्लिक कंपनी जब स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड हो जाती है तो शेयर को ट्रांसफर करना बहुत आसान हो जाता है| इसके द्वारा शेयरों का लेखा-जोखा रखना बहुत ही आसान हो जाता है|
7- उच्च पारदर्शिता (Transparency)
इसमें काफी उच्च पारदर्शिता होती है| हर पब्लिक लिमिटेड कंपनी समय- समय पर जानकारियाँ उपलब्ध कराती रहती है| वार्षिक रिपोर्ट का ब्यौरा सार्वजनिक करती है|
इसके द्वारा शेयर होल्डर्स को कंपनी के मैनेजमेंट के बारे में पता चलता रहता है|
8- लाभ पर लाभांश (Dividend on profit)
कंपनी द्वारा लाभ कमाने पर उसके शेयरधारकों को भी लाभांश (Dividend) दिया जाता है| इसी के कारण लोग कंपनी के शेयर्स में इन्वेस्ट करते हैं| चाहे वह इक्विटी शेयर के माध्यम से हो या प्रेफरेंस शेयर के माध्यम से|
9- लक्ष्य (Goal)
जब भी प्रमोटरों द्वारा किसी पब्लिक लिमिटेड कंपनी का निर्माण किया जाता है तो उनका लक्ष्य एक ही होता है कि उन्हें अपनी इस कंपनी को शेयर मार्केट में लिस्टेड कराना है|
इसके लिए वह पूरी प्लानिंग करते हैं क्योंकि शेयर मार्केट में लिस्टिंग कराना आसान नहीं होता| शेयर मार्केट में लिस्टिंग कराने के लिए किसी भी कंपनी के लिए दूरदर्शी होना बहुत ही आवश्यक है|
10- निदेशक पारदर्शिता (directors transparency)
क्योंकि कंपनी एक आर्टिफिशियल प्रसन्न होती है इसलिए किसी भी कंपनी को चलाने के लिए डायरेक्टर की आवश्यकता होती है|
पब्लिक लिमिटेड कंपनी में डायरेक्टर का रोल बहुत अहम होता है| एक से ज्यादा डायरेक्टर को बोर्ड ऑफ डायरेक्टर कहा जाता है|
कंपनी के सारे अहम फैसले इन्हीं निदेशकों डायरेक्टर के द्वारा लिए जाते हैं|
कंपनी अधिनियम 2013 में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में डायरेक्टरों का रोल तथा डायरेक्टरों की नियुक्ति/निकालना किस प्रकार से है इसके बारे में साफ-साफ बताया गया है|
Disadvantages of public limited company
पब्लिक लिमिटेड कंपनी खोलने के क्या नुकसान होते हैं?
1- उच्च अनुपालन (High compliances)
बहुत अधिक ट्रांसपेरेंसी होने के कारण उच्च अनुपालन का दायरा बहुत बढ़ जाता है|
जैसे कि:- ROC, Taxation, Audit, SEBI की रिक्वायरमेंट पूरी करने में बहुत अधिक समय लगता है|
2- संचालित करने और प्रबंधित करने के लिए महंगी (expensive to operate and manage)
ROC, Taxation, Audit, SEBI की रिक्वायरमेंट पूरी करने के कारण इसे चलाने में अधिक धन की आवश्यकता भी होती है|
3- विनियामक निरीक्षण (increased regulatory oversight)
किसी भी पब्लिक लिमिटेड कंपनी को बहुत ज्यादा ध्यान पूर्वक निरीक्षण किया जाता है| अक्सर कंपनी के द्वारा की गई छोटी ग़लतियाँ भी अखबारों की हेड लाइन बन जाती हैं|
इन ग़लतियों के कारण कंपनी की मार्केट में इमेज बहुत जल्दी खराब होती है|
4- प्रबंधन नियंत्रण की हानि (loss of management control)
किसी भी वन पर्सन कंपनी, प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप में निर्णय बहुत तेजी से लिए जा सकते हैं|
इनमें ज्यादातर कुछ चुने हुए लोगों के हाथ में ही कंपनी की सारी कमांड होती है|
जबकि पब्लिक लिमिटेड कंपनी में डायरेक्टर का महत्वपूर्ण रोल होता है|
पब्लिक लिमिटेड कंपनी में कुछ स्वतंत्र डायरेक्टरों की भर्ती भी की जाती है|
किसी के पास यदि 70 पर्सेंट शेयर भी हैं परंतु उसे फिर भी बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का फैसला मानना होगा| परंतु इसका यह मतलब कदापि नहीं है की डायरेक्टर्स कुछ भी फ़ैसला लें-लें|
शेयर होल्डर्स यदि चाहें तो डायरेक्टर को उसके पद से हटा सकते हैं| जानने के लिए पढ़ें- डायरेक्टर की कंपनी में भर्ती कैसे होती है? तथा उसे उसके पद से कैसे हटा सकते हैं?
इस कारण से निर्णय लेना थोड़ा सा धीमा हो जाता है|
पब्लिक लिमिटेड कंपनी किसे बनानी चाहिए?
मैं कुछ पॉइंट्स के माध्यम से आपको “पब्लिक लिमिटेड कंपनी किसे बनानी चाहिए?” इसके बारे में बता रहा हूं|
- जो भी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बहुत अच्छी तरक्की कर रही हैं तथा उनका टर्नओवर भी करोड़ों में पहुंच गया है तथा जितने भी खर्चे हैं वह उन्हें आसानी से उठा सकती है और उन्हें अब अपना बिज़नेस बहुत बड़ा करने के लिए बहुत अधिक धन की आवश्यकता है उन्हें पब्लिक लिमिटेड कंपनी में माइग्रेट कर लेना चाहिए|
- आपका बजट कम है तो आप शुरुआत वन पर्सन कंपनी, स्मॉल कंपनी, लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप के साथ कर सकते हैं|
- यदि आप भविष्य में नहीं चाहते कि बहुत सारे लोग आपकी कंपनी में इन्वॉल्व हो जाए तो आपको पब्लिक लिमिटेड कंपनी नहीं बनानी चाहिए क्योंकि शेयर तो आप प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में भी जारी कर सकते हैं|
- यदि आपका लक्ष्य निर्धारित नहीं है कि आप अपनी कंपनी को भविष्य में किस स्तर तक ले जा सकते हैं तो आपको पब्लिक लिमिटेड कंपनी नहीं बनानी चाहिए|
- शुरुआती सातों शेयर होल्डर्स का आपस में बहुत अच्छा कम्युनिकेशन तथा एक दूसरे पर विश्वास होना चाहिए| यदि ऐसा नहीं होता तो बहुत ही जल्दी टकराव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है|
- केवल ज्यादा पैसों इन्वेस्टमेंट के बारे में सोच रहे हैं तो आपको पब्लिक लिमिटेड कंपनी नहीं बनानी चाहिए क्योंकि इन्वेस्टमेंट तो आप बैंक लोन के जरिए भी ला सकते हैं|
- यदि आप अपनी कंपनी पर नियंत्रण चाहते हैं तो आपको पब्लिक लिमिटेड कंपनी नहीं बनानी चाहिए क्योंकि जैसे-जैसे शेयर अलॉट होते जाते हैं दूसरे लोग आपकी कंपनी में मालिकाना हक प्राप्त करते जाते हैं तथा आपका स्वामित्व कंपनी पर कम होता जाता है|
- यदि आप अपनी कंपनी के बारे में ज्यादा जानकारी आम लोगों को नहीं देना चाहते तब भी आपको पब्लिक लिमिटेड कंपनी बनाने से बचना चाहिए क्योंकि पब्लिक लिमिटेड कंपनी पूरी तरह पारदर्शी होती है|
किसी भी बिज़नेस के लिए कुछ जरूरी बातें
आपको सबसे पहले अपने बिज़नेस में इंश्योरेंस का महत्व अवश्य पता होना चाहिए| जैसे कि फायर इंश्योरेंस| यदि आप एक्सपोर्ट बिज़नेस करते हैं तो आपको मरीन इंश्योरेंस के बारे में अवश्य पता होना चाहिए|
कंपनी बनाने से पहले आपको आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन, मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन, प्रस्पेक्टस के बारे में अवश्य ही पता होना चाहिए|
FAQs: पब्लिक लिमिटेड कंपनी
पब्लिक लिमिटेड कंपनी से हमारा तात्पर्य वह उस कंपनी से है जो आम जनता के बीच जाकर उन्हें अपनी कंपनी में इन्वेस्टमेंट के लिए प्रेरित कर सकती है तथा आम जनता भी शेयर के माध्यम से अपना पैसा लगा सकती है|
प्राइवेट लिमिटेड कंपनी आम जनता के बीच जाकर अपनी कंपनी का प्रचार करके आम जनता को अपनी कंपनी में पैसा लगाने के लिए नहीं कह सकती|
इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) कहते हैं|
At Par वैल्यू पर लिए गए शेयर कहते हैं|
प्रीमियम प्राइस पर लिए गए शेयर कहते हैं|
पब्लिक लिमिटेड कंपनी अधिक पारदर्शी होती है|
लोग पब्लिक लिमिटेड कंपनी इसलिए बनाते हैं जिनको अपना व्यवसाय बढ़ाने के लिए बहुत अत्यधिक धन की आवश्यकता होने वाली होती है| आम जनता के बीच वह शेयर को अलॉट करके इस धन की प्राप्ति आसानी से कर सकते हैं|
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धन्यवाद