दोस्तों, इस पोस्ट के माध्यम से हम Foreign currency account (विदेशी मुद्रा खाता) के बारे में पढ़ेंगे| इसमें हम RFC, RFCD, EEFC Account तथा DDA के बारे में पढ़ेंगे|
यह पोस्ट, एक्सपोर्टर-इंपोर्टर, यूट्यूबर, ब्लॉगर, टूरिस्ट गाइड, फ्रीलांसर या ऐसा कोई भी व्यक्ति जिसके पास US Dollar (USD), Pound Sterling (GBP), Japanese Yen (JPY) या EURO (EUR) में से कोई विदेशी मुद्रा है, को अवश्य ही पढ़नी चाहिए|
साथ ही साथ विदेशी मुद्रा खाते के बारे में आपके दिमाग में अनेकों प्रश्न आते होंगे!
जैसे कि: भारत के लोग कैसे foreign account खुलवा सकते हैं?, Foreign currency account की जरूरत क्यों पड़ती है?, Foreign currency account खुलवाने का क्या फायदा है? इत्यादि
तो दोस्तों इस पोस्ट के माध्यम से आपको ऐसी जानकारी मिलेगी जिससे आप अपना बहुत सारा पैसा बचा सकते हैं!
सबसे पहले बात करते हैं! Foreign currency account types (विदेशी मुद्रा खाता प्रकार) के बारे में|
- Foreign currency account कितने प्रकार का होता है?
- Foreign currency account की जरूरत क्यों पड़ती है?
- 1- RFC (Resident Foreign Currency Account)
- 2- RFCD (Resident Foreign Currency Account Domestic)
- 3- EEFC Account (Exchange Earner’s Foreign Currency Account)
- 4- DDA (Diamond Dollar Account)
- Foreign currencies क्या है तथा इसे क्यों use किया जाता है?
- FAQs: RFCD
Foreign currency account कितने प्रकार का होता है?
- RFC
- RFCD
- EEFC
- DDA
आइए! सबसे पहले हम इनकी फुल फॉर्म जान लेते हैं|
RFC full form: “Resident Foreign Currency”
RFCD full form: “Resident Foreign Currency Domestic”
EEFC full form: “Exchange Earner’s Foreign Currency”
DDA full form: “Diamond Dollar Account”
Foreign currency account की जरूरत क्यों पड़ती है?
जब भी हम किसी विदेशी मुद्रा को भारतीय रुपए में कन्वर्ट करवाते हैं तो बैंक हमसे कुछ चार्ज लेता है| कुछ लोगों को फॉरेन करेंसी को रुपए में तथा रुपए को फॉरेन करेंसी में बदलने की जरूरत पड़ती रहती है|
इन्हीं चार्जेस (शुल्क) अतिरिक्त से बचने के लिए हम फॉरेन करेंसी अकाउंट खुलवाते हैं|
उदाहरण:
मान लो कोई यूट्यूबर, ब्लॉगर, फ्रीलांसर है|
(1) अब! जैसा कि आप जानते हैं, इन लोगों को गूगल ऐडसेंस से डॉलर में पेमेंट मिलती है| यदि उनके पास में सामान्य खाता होता है तो, बैंक डॉलर को रुपए में बदलने के लिए पैसे लेता है| इसी करंसी एक्सचेंज को बचाने के लिए यह लोग फॉरेन करेंसी अकाउंट खोल सकते हैं|
(2) मान लो कोई बिजनेस मैन एक्सपोर्ट तथा इंपोर्ट दोनों करता है| उसका लेनदेन डॉलर में होता है| वह जब भी एक्सपोर्ट करेगा तो उसे पेमेंट डॉलर में मिलेगी| इस पेमेंट को वह जब भी रुपए में बदलेगा तब, उसे बैंक को कुछ कमीशन देना पड़ेगा| साथ ही साथ उसे इंपोर्ट करने पर रुपए को डॉलर में बदलने के लिए भी बैंक को चार्ज देना पड़ेगा| इन्हीं सब चार्ज इससे बचने के लिए Foreign currency account खुलवाना चाहिए|
दोस्तों, अब हम एक-एक करके समझते हैं कि कौन व्यक्ति कौन सा अकाउंट खुलवा सकता है? तथा कौन सा अकाउंट किसके लिए ठीक रहेगा?
1- RFC (Resident Foreign Currency Account)
यह खाता NRI (Non Resident Indian) के लिए खुलता है|
जो लोग विदेश में रहकर पैसा कमाते हैं| कुछ समय बाद में वापस भारत आ जाते हैं| अब! विदेश में उन्होंने जो पैसा कमाया है, यानी कि विदेश के किसी बैंक में उनका पैसा जमा है| इस पैसे को भारत में किसी अकाउंट में रखने के लिए ही RFC (Resident Foreign Currency Account) खुलवाना पड़ेगा|
यह foreign currency account भारत में निवास करने वाले लोगों के लिए होता है|
मुख्य बातें
- अपनी विदेशी संपत्ति को बेचकर जो पैसा मिला है उसे जमा किया जा सकता है|
- विदेश में नौकरी के दौरान कोई धन से संबंधित बेनिफिट मिला हो तो उसे जमा किया जा सकता है|
- इनाम में मिला हुआ फॉरेन एक्सचेंज जमा कर सकते हैं|
- विरासत मिली संपत्ति को बेचकर जो धन मिलेगा उसे जमा कर सकते हैं|
- SB (Saving account) /CA (Current Account)/FD (Fixed Deposit)/RD (Recurring Deposit) चारों प्रकार के अकाउंट खुलवा सकता है|
- इसमें जमा राशि पर ब्याज बैंक के नियमों के अनुसार दिया जाएगा|
RFC account के फायदे
1- जितना भी ब्याज (Interest) बनेगा, उसपर कर-छूट होती (tax-exempted) है|
2- जमा राशि पर ब्याज तथा fix deposit की सुविधा भी मिल सकती है|
4- जब USD का प्राइस बढ़ा हुआ हो तब इसे कन्वर्ट करके लाभ कमा सकते हैं|
नोट: NRE (Non resident external) account क्या होता है? “जो लोग विदेश में रहकर पैसा कमाते हैं तथा अभी वही पर रह कर भारत में account खुलवाना चाहते हैं तो, उनके लिए NRE (Non resident external) की सुविधा दी गई है|”
2- RFCD (Resident Foreign Currency Account Domestic)
RFC तथा RFCD मेँ यह फर्क होता है कि RFC NRI के लिए ही खुलता है RFCD उनके लिए खुलता है जो NRI श्रेणी में नहीं आते|
NRI: जो व्यक्ति कम से कम 182 फाइनैंशल दिनों के लिए विदेश में रहा हो NRI कहलायेगा|
अब! जो लोग NRI नहीं है, उनको foreign currency बैंक में जमा करनी है तो उन्हें RFCD (Resident Foreign Currency Account Domestic) अकाउंट खुलवाना पड़ेगा|
यहां पर, इसीलिए इसमें Domestic शब्द को जोड़ा गया है|
अब! यहां पर समझने वाली बात यह है कि जो लोग गूगल ऐडसेंस से Foreign Currency कमाते हैं, वह गाइड जिनको विदेशी टूरिस्ट डॉलर में टिप दे जाते हैं|
यह लोग किस प्रकार इस विदेशी मुद्रा को रुपए में कन्वर्ट कर सकते हैं, जिससे कि उन्हें फॉरेन एक्सचेंज करने पर शुल्क ना लगे|
इस प्रकार के लोगों के लिए RFCD (Resident Foreign Currency Account Domestic) की सुविधा दी गई है|
मुख्य बातें
- भारत के निवासी का ही अकाउंट खुलेगा|
- करंट अकाउंट ही खुलेगा|
- बालिग होना चाहिए|
- जमा राशि पर कोई ब्याज नहीं मिलेगा|
- विदेश यात्रा के दौरान बची हुई फॉरेन करेंसी
- विदेशी सैलानी द्वारा मिला हुआ इनाम|
- क्योंकि इसमें केवल करंट अकाउंट खुल सकता है इसलिए इसमें ब्याज नहीं मिलेगा|
- इसमें बैंक द्वारा एक निर्धारित सीमा भी तय की जा सकती है| जैसे: कोई बैंक यह नियम बना दें कि उसके यहां पर $2000 से ऊपर RFCD में जमा नहीं हो सकते|
RFCD के क्या फायदे हैं?
- इसे आप चार प्रकार की करेंसी में खोल सकते हैं 1- US Dollar (USD) 2- Pound Sterling (GBP) 3- Japanese Yen (JPY) 4- EURO (EUR)
- विदेशी मुद्रा को भारतीय रुपए में बदलने पर कोई एक्स्ट्रा चार्ज नहीं लगता| जब यूट्यूबर या ब्लॉगर का गूगल ऐडसेंस से डॉलर में पेमेंट आता है तो, उसे भारतीय रुपए में बदलने पर कोई चार्ज नहीं लगता|
नोट: सामान्यतः 3.5% का चार्ज लगता है|
- आप RFCD अकाउंट में जमा पैसे को विदेश यात्रा के दौरान आसानी से खर्च कर सकते हैं| इससे आपकी foreign currency mark up fee बच जाएगी|
सामान्यत: foreign currency mark up fee 3.5% से 4.5% + GST रहती है|
- RFCD (Resident Foreign Currency Account Domestic) के जरिए आप अपनी करेंसी की वैल्यूएशन को प्रोटेक्ट कर सकते हैं|
उदाहरण: मान लो आपके अकाउंट में $1000 इकट्ठे हो चुके हैं| आप इन्हें जब रुपए में बदल सकते हैं, जब डॉलर का मूल्य बढ़ा हुआ हो|
- इस अकाउंट के जरिए आप आसानी से फॉरेक्स करंसी ट्रांजैक्शन कर सकते हैं| इसके लिए आप ही कोई भी mark up fee नहीं लगेगी|
- नॉर्मल अकाउंट में Wire transfer एक्सेप्ट करने पर बहुत सारे चार्ज लगते हैं| जैसे कि: currency conversion charges, wire transfer charges इत्यादि|
वहीं पर RFCD अकाउंट का इस्तेमाल करने पर Wire transfer से करेंसी चेंज में लगने वाला कमीशन नहीं लगता|
3- EEFC Account (Exchange Earner’s Foreign Currency Account)
भारत में रहने वाला कोई व्यक्ति है बिजनेस करने के उद्देश्य से फॉरेन करेंसी का अकाउंट खुलवाना चाहता है तो वह EEFC Account (Exchange Earner’s Foreign Currency Account) खुलवा सकता है|
यह अकाउंट मुख्यत: Exporter तथा Importer खुलवाते हैं|
मुख्य बातें
- किसी भी freely convertible currency में खोला जा सकता है|
- इसमें कितनी भी राशि का लेन-देन किया जा सकता है|
- क्योंकि यह भी करंट अकाउंट होता है इसलिए इसमें भी ब्याज नहीं मिलता|
- केवल बिजनेस से प्राप्त धन ही जमा किया जा सकता है|
- हर महीने की 30 तारीख के आस-पास इस खाते में जमा foreign currency अपने आप INR में बदल जाएगी, इसलिए आपको इस बीच इसका फायदा उठाने की कोशिश करनी चाहिए|
एक्सपोर्टर को इसे खोलने का क्या फायदा है?
इसे समझाने के लिए मैं एक छोटा सा उदाहरण आपको दे रहा हूं, इसके मैं अलग अलग से बता रहा हूं|
(1)मान लीजिए, एक एक्सपोर्टर है साथ ही वह इंपोर्टर भी है|
इस एक्सपोर्टर ने $10000 का एक्सपोर्ट किया| जब वह इसे रुपए में कन्वर्ट करवाएगा तो उसे चार्ज देना पड़ेगा| इस अकाउंट के जरिए उसे कोई चार्ज नहीं देना पड़ेगा|
(2) इसे 28 दिनों के अंदर इंपोर्ट भी करना है, इम्पोर्ट करने के लिए इसे डॉलर में पेमेंट करनी है| इसके लिए जब वह रुपए को डॉलर में कन्वर्ट करेगा तब उसको चार्ज देना पड़ेगा| अब ऊपर वाले उदाहरण में मिली हुई राशि इसके अकाउंट में डॉलर के रूप में ही पड़ी हुई है, तो वह इसी राशि से भुगतान कर सकता है| इसे करेंसी चेंज कराने की कोई जरूरत ही नहीं पड़ेगी|
(3) जब इसने एक्सपोर्ट किया तब डॉलर की वैल्यू ₹70 थी| जब इसने इसे चेंज करवाया तो डॉलर की वैल्यू ₹75 हो गई थी| इससे इसे फायदा मिल जाएगा|
नोट: डॉलर की वैल्यू गिरवी सकती है! इस स्थिति में से नुकसान लग जाएगा| ऐसी स्थिति में रिस्क से बचने के लिए एक्सपोर्टर, बैंक द्वारा, डॉलर की उस वक्त चल रही वैल्यू को फिक्स करवा सकता है| अब! चाहे डॉलर का रेट घटे या बढ़े, एक्सपोर्टर को उसी वैल्यू के हिसाब से पैसा मिलेगा|
बहुत से लोगों के दिमाग में इस वक्त चतुराई वाला प्रश्न आ रहा होगा| वह सोच रहे होंगे कि “ डॉलर का रेट बढ़ गया तो हम बढ़े हुए के हिसाब से पैसे ले लेंगे! वर्ना बैंक तो हमें फिक्स किए हुए रेट को देगा ही!” हा-हा-हा-हा-हा-हा
इन्हीं बुद्धिजीवियों की वजह से बैंक पहले ही टोटल राशि का लगभग 5% सिक्योरिटी मनी के रूप में जमा कर लेता है|
4- DDA (Diamond Dollar Account)
यह अकाउंट हीरा व्यापारियों को फायदा पहुंचाता है| जैसा कि आप लोग जानते हैं, भारत कच्चा हीरा या खुरदुरा हीरा इंपोर्ट करता है, उसे पॉलिश करने के बाद एक्सपोर्ट कर दिया जाता है|
- यह केवल हीरा व्यापारी ही खुलवा सकते हैं|
- हीरा व्यापार करने में 2 साल का अनुभव होना चाहिए|
- Large Exporter को 5 DDA (Diamond Dollar Account) खोलने की छूट होती है|
Large Exporter: “वह व्यापारी जिसका पिछले 3 वित्तीय सालों में तीन करोड़ या इससे अधिक का व्यापार किया हो|”
RFC Vs RFCD Vs EEFC
सवाल | RFC (Resident Foreign Currency) | RFCD (Resident Foreign Currency Domestic) | EEFC (Exchange Earner’s Foreign Currency) |
कौन खोल सकता है? | Return NRI | भारत का निवासी | एक्सपोर्टर |
किस प्रकार का अकाउंट खोल सकता है? | SA/CA/RD/FD | करंट अकाउंट (चालू खाता) | करंट अकाउंट (चालू खाता) |
स्वदेश भेजने योग्य होता है? | हाँ, भेज सकते हैं | हाँ, भेज सकते हैं | हाँ, भेज सकते हैं |
किस प्रकार की मुद्रा के लिए अकाउंट खुलता है? | विदेशी (Foreign) | विदेशी (Foreign) | विदेशी (Foreign) |
किस बैंक में यह खाता खुलवा सकते हैं?
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा फॉरेक्स करंसी के लिए मान्यता प्राप्त किसी भी बैंक में यह खाते खुलवाए जा सकते हैं|
Foreign currencies क्या है तथा इसे क्यों use किया जाता है?
दोस्तों, foreign currencies क्या है?, इसे क्यों use किया जाता है? इसे क्यों यूज़ किया जाता है?
फॉरेन करेंसी: विदेशी मुद्रा (foreign currency) को कहते हैं| उदाहरण के लिए, जैसे कि: हम भारत में रहते हैं| भारत की मुद्रा रुपया है| रुपए के अलावा भारत में जितनी भी करेंसी होंगी, वह विदेशी मुद्रा कहलाएंगी|
विदेशी मुद्रा (foreign currency) इस्तेमाल क्यों किया जाता है?
इसे समझने के लिए आपको थोड़ा सा अर्थशास्त्र समझना पड़ेगा| मैं इसे बहुत ही आसान शब्दों में समझाने की कोशिश करता हूं| सबसे पहले हम विदेशी मुद्रा भंडार को समझ लेते हैं|
विदेशी मुद्रा भंडार (foreign exchange reserves): दूसरे देशों की करेंसी को अपने पास इकट्ठा करके रखना विदेशी मुद्रा भंडार कहलाता है|
चलिए! अब इस बिंदु पर आगे बढ़ते हैं|
सबसे पहले व्यापार की बात करते हैं| जब दो देशों का आपस में व्यापार होता है तो किसी एक मुद्रा को चयनित करना पड़ता है| व्यापार करने वाले किसी भी मुद्रा का चयन कर सकते हैं, परंतु कुछ जगहों पर, कुछ देशों द्वारा यह प्रतिबंध लगाया जाता है कि वह केवल अपनी मुद्रा में ही व्यापार करेंगे| अब! इससे परिस्थितियां किस प्रकार बदलती हैं! इसे थोड़ा समझ लीजिए|
मान लीजिए, हमारे देश में पेट्रोल का आयात बहुत अधिक मात्रा में होता है| दूसरे देश कहे कि “हम पेट्रोल का व्यापार या पेट्रोल का लेनदेन केवल डॉलर में ही करेंगे|”
अब! ऐसी किसी स्थिति में भारत डॉलर तो छाप नहीं सकता! और डॉलर ना होने की स्थिति में वह पेट्रोल का आयात भी नहीं कर सकता क्योंकि, दूसरे देशों ने पहले ही कह दिया है कि “वह केवल डॉलर में ही पेमेंट लेंगे”
इसीलिए भारत या कोई भी देश अपने पास विदेशी मुद्रा का भंडार (foreign exchange reserves) करके रखता है|
नोट: भारत भी ऐसा कर सकता है कि अपने यहां उत्पादित होने वाली किसी वस्तु का लेनदेन केवल रुपए में ही करेगा|
अब! एक सरल माध्यम से मैं आपको समझा देता हूं| आप बिजनेस लोक.कॉम पर यह आर्टिकल पढ़ रहे हैं| इस वेबसाइट का डोमेन नेम, होस्टिंग, प्लगइन जैसी चीजों के लिए मुझे केवल डॉलर में ही पेमेंट करनी पड़ती है| यदि मेरे पास कोई ऐसा अकाउंट हो, जिसमें मैं डॉलर को होल्ड करके रख सकूं, तो करंसी कन्वर्जन में लगने वाली राशि मुझे बच जाएगी|
वेबसाइट के बारे में ज्यादा जानने के लिए यह पोस्ट पढ़े: बिजनेस के लिए वेबसाइट कैसे बनाये?
FAQs: RFCD
Resident Foreign Currency Deposits
भारत का निवासी एकल अथवा किसी व्यक्ति के साथ विदेशी मुद्रा रखने के लिए संयुक्त रूप से आरएफसी (डी) खाता खुलवा सकता है।
1- यह बिना ब्याज़ का चालू खाता है। 2- इसमें चैक बुक अथवा एटीएम कार्ड नहीं दिया जाता है। 3- कुछ बैंकों द्वारा न्यूनतम तथा अधिकतम राशि तय की जा सकती है| 4- RFC (D) खाता एकल मुद्रा (single currency account) खाता है|
केवल निवासी व्यक्ति निवासी विदेशी मुद्रा (घरेलू) खाता खोल सकता है, नाबालिग के नाम पर खाता कानूनी/प्राकृतिक अभिभावक के द्वारा ही खोला जा सकता है।
जी नहीं, यह बिल्कुल गैरकानूनी है| आपको अपनी विदेशी मुद्रा का सोर्स भी बताना पड़ेगा| आप केवल वही मुद्रा जमा करा सकते हैं जिस के दिशा निर्देश रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा तय किए गए हैं|
साथ ही यह भी अवश्य देखें:
पूंजी बाजार और मुद्रा बाजार के बीच अंतर
फाइनेंशियल मार्केट क्या होता है?
आपने क्या सीखा?
इस पोस्ट के द्वारा आपने RFC “Resident Foreign Currency”, RFCD “Resident Foreign Currency Domestic”, EEFC “Exchange Earner’s Foreign Currency” तथा DDA“Diamond Dollar Account” के बारे में सीखा|
इससे आपको पता चला कि आप किस प्रकार Foreign Exchange का फायदा उठा सकते हैं?
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बिजनेस से संबंधित इसी प्रकार की अगली पोस्ट में मैं फिर मिलूंगा, तब तक के लिए नमस्कार
धन्यवाद