इस पोस्ट के माध्यम से आप “लाभांश निर्णय क्या है? (What is dividend decision), Dividend का हिन्दी में अर्थ तथा dividend yield के बारे में जानेंगे|
यदि आप किसी कंपनी में निवेश करने के बारे में सोच रहे हैं तो आपको यह पोस्ट अवश्य पूरा पढ़ना चाहिए|
आपको पता चलेगा कि कंपनी डिविडेंड बांटने से पहले किन विषयों का निरीक्षण करती है?
डिविडेंड का हिंदी अर्थ क्या है?
सबसे पहले हम डिविडेंड का अर्थ जानते हैं| इसके बाद हमें यह सारा कंसेप्ट अच्छी तरह क्लियर हो जाएगा|
Dividend meaning in hindi: “लाभांश, भाज्य, भाग, अंश, सूद, भाज्यगणित में”
लाभांश निर्णय क्या है? (What are dividend decisions)
डिविडेंड को समझने के लिए सबसे पहले हमें जानना जरूरी है कि डिविडेंड आखिर होता क्या है?
डिविडेंड की परिभाषा: “किसी कंपनी द्वारा अपने शेयरधारकों को दिए जाने वाले नकद भुगतान को मुनाफा या लाभांश (Dividend) कहते है|”
- डिविडेंड का हिंदी अर्थ क्या है?
- लाभांश निर्णय क्या है? (What are dividend decisions)
- कंपनी डिविडेंड किस प्रकार देती हैं? (What is dividend decision)
- लाभांश निर्णयों को प्रभावित करने वाले कारक
- कमाई (Earning)
- नकदी प्रवाह की स्थिति (Cash flow positions)
- लाभांश की स्थिरता (Stability of dividend)
- कराधान नीति (Taxation policy)
- कानूनी बंदिशें (Legal restrictions)
- शेयर बाजार की प्रतिक्रियाएं (Stock market reactions)
- कमाई की स्थिरता (Stability of earnings)
- विकास के अवसर (Growth opportunities)
- शेयरधारकों की वरीयता (Preference of shareholders)
- पूंजी बाजार विचार तक पहुंच (Access to capital market consideration)
- संविदात्मक बाधाएं (Contractual constraints)
- Dividend Yield क्या होता है?
- Dividend News Update: 25/06/2021
कंपनी डिविडेंड किस प्रकार देती हैं? (What is dividend decision)
What is dividend decision: जैसा कि आप जानते हो कि कंपनी भी पैसा कमाती है| साधारण सी बात है कि जब भी कोई व्यापार करेगा तो पैसा तो कमाएगा ही!!
अब! मान लीजिए किसी कंपनी ने बहुत सारा मुनाफा कमा लिया| कंपनी के सामने सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि “इस प्रॉफिट का क्या किया जाए?”
कंपनी सोचेगी कि “क्या इस प्रॉफिट को शेयर होल्डर्स को बांट दिया जाए?” क्योंकि कंपनी में पैसा शेयरहोल्डर्स का लगा हुआ है तो, इस प्रकार से वह इस कंपनी के मालिक भी बन गए|
सीधी सी बात है, मुनाफा तो मालिकों में ही बांटा जाएगा|
यहां पर कंपनी यह निर्णय लेगी की “उसको यह पैसा शेयर होल्डर्स में बांटना है या फिर भविष्य के लिए संभाल कर रखना है|”
यहां पर कंपनी लाभांश का एक हिस्सा शेयर होल्डर्स को देती है| यह लाभ डिविडेंड के रूप में होता है| इसे ही डिविडेंड कहते हैं|
कंपनी अपनी भविष्य की योजनाओं तथा खर्चों को ध्यान में रखते हुए इसमें से कुछ पैसा अपने पास रोक कर रख लेती है|
अब! आपके मन में यह प्रश्न आ रहा होगा कि “ डिविडेंड डिसीजन का इससे क्या लेना देना है?”
फाइनेंस मैनेजर द्वारा यह निर्णय लिया जाता है कि कितना हिस्सा लाभ के रूप में शेयरहोल्डर्स को दे दिया जाए तथा कितना पैसा कंपनी अपने पास रोक कर रखें|
1- जब कंपनी के पास सरप्लस फंड होते हैं तो उसे किस प्रकार बांटना है?
इन सवालों के जवाब “Dividend decisions” के कांसेप्ट में दिए जाते हैं| इस मुनाफे को उधार देने वालों, कर्मचारियों, डिबेंचर होल्डर, शेयर होल्डर्स इत्यादि में बांट दिया जाता है|
2- क्रेडिटर्स तथा डिबेंचर होल्डर्स को भुगतान करना अनिवार्य है| इनको पैसे बांटने के बाद, बचे हुए पैसे का फाइनेंस मैनेजर हिसाब लगाएगा कि उसे किस मद में खर्च करना है?
3- मुनाफे के पैसे को कितना बांटना है तथा कितना बचा कर रखना ही dividend decisions कहलाता है|
पर क्या? यहीं पर इस कांसेप्ट “What is dividend decision” का अंत हो जाता है? इसका जवाब है: “नहीं”
Dividend decisions के समय बहुत सारी अन्य चीजों का भी हमें ख्याल रखना पड़ता है|
आइए! देखते हैं|
लाभांश निर्णयों को प्रभावित करने वाले कारक
What is dividend decision: बहुत सारे कारण ऐसे भी होते हैं, जिनको, डिविडेंड को बांटते समय ध्यान में रखना होता है|
वह कारण निम्नलिखित है|
- कमाई (Earning)
- नकदी प्रवाह की स्थिति (Cash flow positions)
- लाभांश की स्थिरता (Stability of dividend)
- कराधान नीति (Taxation policy)
- कानूनी बंदिशें (Legal restrictions)
- शेयर बाजार की प्रतिक्रियाएं (Stock market reactions)
- कमाई की स्थिरता (Stability of earnings)
- विकास के अवसर (Growth opportunities)
- शेयरधारकों की वरीयता (Preference of shareholders)
- पूंजी बाजार विचार तक पहुंच (Access to capital market consideration)
- संविदात्मक बाधाएं (Contractual constraints)
आइए! अब इन सारे बिंदुओं को समझते हैं|
कमाई (Earning)
कोई भी कंपनी dividend बांटते समय अपनी कमाई को ध्यान में रखती है| कंपनी घाटे में चल रही है और वह डिविडेंड बांट रही है तो यह बात ठीक नहीं लगती|
अब आपके दिमाग में एक सवाल उठ रहा होगा कि “ क्या कंपनी जब घाटे में चल रही हो तो वह डिविडेंड बांट सकते हैं?” इसका जवाब है- हां- बांट सकती है|
अपनी अपनी क्षमता के अनुसार ही dividend बांटती है| यदि कंपनी को अधिक कमाई हो रही है तो है अधिक डिविडेंड देगी|
कंपनी अपने पिछले सालों के मुनाफे से भी dividend दे सकती है|
नकदी प्रवाह की स्थिति (Cash flow positions)
किसी भी कंपनी में यदि नकदी प्रवाह की स्थिति ठीक नहीं है तो वह डिविडेंड बांटने से बचती है|
पहले वह अपने नकदी प्रवाह के स्थिति को ठीक करती है उसके बाद में डिविडेंड के बारे में सोचती है|
लाभांश की स्थिरता (Stability of dividend)
अभी कोई कंपनी हर तीसरे साल डिविडेंड बांटती है तो,कोई भी इस कंपनी के शेयर में इन्वेस्टमेंट करने के लिए आकर्षित हो सकता है|
अब! किसी ने यही सोचकर इस कंपनी में निवेश कर दिया|
कंपनी अपनी साख को खराब नहीं करती इसलिए वह कोशिश करेगी कि हर तीसरे साल में डिविडेंड बांटती रहे|
हो सकता है! कंपनी इसके लिए एक अलग से नीति भी बना ले| जिससे कि तय समय अवधि पर डिविडेंड बांटा जा सके|
कराधान नीति (Taxation policy)
जब भी कोई कंपनी मुनाफा कमाती है तो उसे सरकार को कर (Tax) तो देना ही पड़ता है|
कभी-कभी कुछ ऐसी परिस्थितियां आ जाती है कि टैक्सेशन की वजह से dividend को बांटना रोकना पड़ता है|
कानूनी बंदिशें (Legal restrictions)
यदि डिविडेंड के ऊपर सरकार द्वारा कंपनी अधिनियम में कुछ कानून बनाया गया है तो, उसके अनुसार कंपनी को डिविडेंड उसी के हिसाब से देना पड़ेगा|
जैसे कि: मान लीजिए, उधार देने वालों का हिसाब तो कंपनी ने किया नहीं और dividend बांटने लगे| इस प्रकार की गतिविधियां कंपनी अधिनियम में निषेध की गई है|
शेयर बाजार की प्रतिक्रियाएं (Stock market reactions)
कोई कंपनी यदि अधिक मात्रा में डिविडेंड बांट दें तो शेयर बाजार में उथल-पुथल शुरू हो जाएगी|
शेयर मार्केट में अचानक से तेजी शुरु हो जाती है| निफ्टी और सेंसेक्स ऊपर चढ़ने लगते हैं|
लोग उस कंपनी के शेयर को खरीदने के लिए बढ़-चढ़कर बोली लगाते हैं| ₹10 के शेयर की कीमत हजार रुपए तक पहुंच जाती है|
फिर अचानक से यह कीमत गिर सकती है|
इस प्रकार की गतिविधि से किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान भी पहुंच सकता है|
इन सब गतिविधियों को कंट्रोल करने के लिए सेबी इनको रेगुलेट करती है|
कमाई की स्थिरता (Stability of earnings)
हर वर्ष की कमाई की स्थिरता को देखते हुए ही dividend दिया जाता है| किसी साल अत्यधिक प्रॉफिट हो गया तथा अगले साल कंपनी लॉस में चली गई|
ऐसी स्थिति में कंपनी डिविडेंड नहीं देती|
विकास के अवसर (Growth opportunities)
मान लीजिए, कंपनी अपना विस्तार करना चाहती है|
इसके लिए वह किसी कंपनी को अपनी सहायक कंपनी बनाना चाहती है या किसी के साथ ज्वाइंट वेंचर करना चाहती है|
इस काम के लिए उसे धन की आवश्यकता होगी|
अतः वह कंपनी dividend को रोककर रखेगी| यह रोका हुआ धन flotation cost के काम आता है|
अब! आपके कुछ और सवालों का जवाब और दे देता हूं|
क्या कंपनी को डिविडेंड देना अनिवार्य है?: “कंपनी को मुनाफा होता है तो वह dividend दे सकती है| यदि कंपनी को मुनाफा नहीं होता है तो उसे डिविडेंड देना अनिवार्य नहीं है|”
मुनाफे की स्थिति में कंपनी को हर साल डिविडेंड देना अनिवार्य है?: “कंपनी को हर साल या एक तय डेट पर डिविडेंड देना अनिवार्य नहीं है|”
यदि कंपनी डिविडेंड देने का ऐलान कर दे तो क्या उसे डिविडेंड देना अनिवार्य है?: “ जी हां, एक बार डिविडेंड का अनाउंसमेंट करने के बाद कंपनी को उसे देना अनिवार्य है|”
शेयरधारकों की वरीयता (Preference of shareholders)
कंपनी के हर शेयर धारक का अलग माइंड सेट होता है| कंपनी द्वारा शेयरधारकों से पूछा जाता है कि “क्या उन्हें डिविडेंड चाहिए?”
बहुमत के आधार पर इसका निर्णय लिया जाता है|
पूंजी बाजार विचार तक पहुंच (Access to capital market consideration)
स्टॉक मार्केट को कैपिटल मार्केट कहते हैं| नियमित रूप से डिविडेंड देने पर किसी भी कंपनी की आसानी से कैपिटल मार्केट में पकड़ बन सकती है|
इसके आधार पर, नई सिक्योरिटी जारी करके, कोई भी कंपनी आसानी से धन भी एकत्रित कर सकती है|
संविदात्मक बाधाएं (Contractual constraints)
मान लो, कंपनी ने किसी के साथ ऐसा कॉन्ट्रैक्ट कर दिया जिसके अनुसार वह डिविडेंड देने में असमर्थ हो|
ऐसी स्थिति में कंपनी डिविडेंड रोक सकती है|
उदाहरण: कंपनी ने किसी बैंक से लोन लिया| बैंक ने कंपनी के साथ कांटेक्ट साइन किया की लोन की अवधि पूरी होने तक कंपनी अपने शेयरधारकों को 2% से ज्यादा डिविडेंड नहीं दे सकती|
दूसरा क्लोज कंपनी ने यह लगाया कि कंपनी ₹5000 से ज्यादा का डिविडेंड नहीं दे सकती|
ऐसी परिस्थितियां भी डिविडेंड को प्रभावित करती रहती हैं|
उम्मीद करता हूँ “What is dividend decision” का जवाब आपको मिल गया होगा!
Dividend Yield क्या होता है?
शेयर मार्केट में रेगुलर इनकम का एक ही तरीका होता है| यह तरीका है Dividend Yield
ऐसे बहुत सारे निवेशक हैं जिनके लिए डिविडेंड यील्ड बहुत महत्वपूर्ण होता है|
ऐसे निवेशक कंपनी के Dividend Yield देख कर ही कंपनी में निवेश करते हैं|
चलिए दोस्तों! देखते हैं: Dividend Yield क्या होता है?
एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी अपने वार्षिक net profit में से कुछ हिस्सा शेयरहोल्डर्स में बांट सकती है| ऊपर आप पढ़ चुके हैं कि इसे डिविडेंड कहते हैं|
उदाहरण
हमारे पास सूर्या लिमिटेड के 200 शेयर है| कंपनी द्वारा ₹8 प्रति शेयर का डिविडेंड डिक्लेयर किया गया है| इस प्रकार हमें टोटल 1600 रुपए का डिविडेंड मिलेगा|
परंतु निवेशक डिविडेंड रिटर्न को अच्छी तरह समझने के लिए Dividend Yield को कैलकुलेट करते हैं|
इसके लिए Dividend Yield को 1 साल में Dividend Per Share को Current share price में कन्वर्ट करते हैं|
Dividend yield formula: Dividend Yield = Annual dividend per share➗Current market price of one share✖️100
डिविडेन्ड यील्ड का सरल भाषा में अर्थ: “Dividend Yield यह बताता है कि एक कंपनी ने पूरे वर्ष में एक शेयर पर कितना डिविडेंड दिया है| दिया गया डिविडेंड कंपनी के करंट शेयर प्राइस का कितना प्रतिशत है|”
उदाहरण
सूर्या लिमिटेड के शेयर का करंट प्राइस ₹200 है| कंपनी ने ₹8 प्रति शेयर का डिविडेंड दिया है| तो कंपनी द्वारा 4 परसेंट का डिविडेंड दिया गया है| इसे निकालने का फार्मूला 8➗200✖️100〓4%
इसका अर्थ यह है कि हमें सूर्य लिमिटेड के शेयर में इन्वेस्ट करने पर प्रति वर्ष/प्रति शेयर 4% का रिटर्न मिल सकता है|
इसे और अच्छी तरह समझने के लिए एक और कंपनी का उदाहरण लेते हैं|
एक दूसरी कंपनी है| जिसका नाम है चंदा लिमिटेड|
चंदा लिमिटेड के करंट शेयर का प्राइस है 100 रुपए|
कंपनी ने डिविडेंड दिया ₹9 प्रति शेयर
Dividend yield= 9➗100✖️100〓9%
इसका अर्थ यह है कि हमें चंदा लिमिटेड में इन्वेस्ट करने पर 9% का रिटर्न प्रतिवर्ष मिल सकता है|
डिविडेंड यील्ड का शेयर प्राइस से उल्टा नाता होता है|
यानी कि कंपनी के शेयर प्राइस बढ़ने पर डिविडेंड यील्ड घटता है तथा शेयर प्राइस के गिरने पर डिविडेंड यील्ड बढ़ता है|
इसलिए जब किसी कंपनी के शेयरों में तेजी से गिरावट आती है तो उसका डिविडेंड यील्ड तेजी से बढ़ता है|
किसी भी कंपनी का डिविडेंड यील्ड देखने से पहले उसके शेयर प्राइस की हिस्ट्री पर ध्यान देना बहुत जरूरी है|
अक्सर निवेशक हाई डिविडेंड यील्ड वाली कंपनियों में निवेश करते हैं|
बस! यहीं पर वह गलती कर जाते हैं| इस गलती का मुख्य कारण होता है कि शेयर प्राइस की हिस्ट्री पर ध्यान नहीं देते|
लाभांश घोषणा तिथियां
जब भी कोई कंपनी डिविडेंड देने की घोषणा करती है, तो डिविडेंड तुरंत नहीं दे दिया जाता है, बल्कि डिविडेंड की घोषणा में और डिविडेंड के पेमेंट करने के बीच चार प्रमुख तिथियां (Dates) होती है| इसमें सबसे अंतिम तारीख पर ही डिविडेंड का भुगतान होता है|
यह चार तिथियां इस प्रकार है|
Dividend declaration date: “यह वह तारीख होती है जिस तारीख को कंपनी डिविडेंड देने की घोषणा करती है|”
Ex-Dividend date/ Last Cum-dividend date: “इस तारीख के बाद यदि किसी ने कंपनी का शेयर खरीदा है तो उसे डिविडेंड नहीं मिलेगा|
यानी कि आपको डिविडेंड पाने के लिए इस आखिरी तारीख से पहले ही शेयर खरीदना पड़ेगा|
Record date या Date of record: “ इस तारीख के दिन कंपनी अपने रिकॉर्ड बुक्स में यह चेक करती है कि उनकी कंपनी का शेयर किन-किन लोगों के पास है| जिन लोगों का नाम कंपनी के रिकॉर्ड में होता है केवल वही डिविडेंड पाने के हकदार होते हैं|
Date of Payment: “यह वह तारीख होती है जिस दिन कंपनी द्वारा डिविडेंड का भुगतान किया जाता है|”
कौन सी कंपनी डिविडेंड देती है कैसे पता करें?
इंटरनेट पर बहुत सारी वेबसाइट के माध्यम से आपको यह आसानी से पता चल सकता है कि कौन सी कंपनी डिविडेंड देती है|
कंपनी का नाम मैं आपको सुझाव रहा हूं इसके द्वारा आप पता कर सकते हैं कि कौन सी कंपनी डिविडेंड देती है|
Types of dividend in Hindi
What is dividend decision के बाद आपको डिविडेन्ड के प्रकार के बारे में भी जान लेना चाहिए|
1- Proposed dividend
2- Final dividend
3- Interim dividend
Proposed dividend
प्रपोज्ड डिविडेंड को बोर्ड ऑफ डायरेक्टर रिकमेंड करता है| कंपनी की बोर्ड रिपोर्ट में Proposed dividend को recommend किया जाता है|
इसके अंदर डायरेक्टर्स के द्वारा एक प्रपोजल रखा जाता है जिसमें कहा जाता है कि उन्होंने शेयरहोल्डर्स को कितना डिविडेंड देने के लिए recommend किया है
Final dividend
इस डिविडेंड को बोर्ड द्वारा recommend तो किया ही जाता है| इसे शेयर होल्डर्स के द्वारा AGM (Annual general meeting) में अनाउंस कर दिया जाता है| यानी कि जो प्रपोज्ड डिविडेंड था उस पर एजीएम मीटिंग में फाइनल की मोहर लग जाती है| इस कारण से इसे Final dividend कहते हैं|
Interim dividend
दो AGM (एनुअल जनरल मीटिंग) के बीच में दिया जाने वाला डिविडेंड रिकमेंडेशन ही इंटरिम डिविडेंड कहलाता है|
इसको बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के द्वारा ही recommend दीया जाता है तथा बोर्ड डायरेक्टर के द्वारा ही डिक्लेअर किया जाता है|
Dividend News Update: 25/06/2021
मुंबई: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने गुरुवार को नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों द्वारा डिविडेंड बांटने के दिशा निर्देश जारी किए|
इन नए दिशानिर्देशों का मकसद सिस्टम को अधिक पारदर्शी बनाना है| यह नए नियम 31 मार्च, 2022 को खत्म होने वाले वित्तीय वर्ष और उससे आगे के सालों में प्रॉफिट पर मिलने वाले डिविडेंड पर लागू होंगे|
यह नए नियम आरबीआई के अंतर्गत आने वाले NBFC (Non-Banking Financial Company) पर लागू होंगे| कोर इन्वेस्टमेंट वाली NBFC के लिए अधिकतम 60% डिविडेंड दे सकती है, जबकि अन्य के लिए है 50% रखा गया है|
साथ ही यह भी अवश्य पढ़ें:
फाइनेंशियल मार्केट क्या होता है?
पूंजी बाजार और मुद्रा बाजार के बीच अंतर
उम्मीद करता हूं आपको यह पोस्ट “What is dividend decision” पसंद आई होगी|
कृपया इसे अधिक से अधिक मात्रा में शेयर अवश्य करें|
नमस्कार
धन्यवाद