इस पोस्ट में आप Bill Discounting के बारे में जानंगे की आप किस प्रकार बिल डिस्काउंटिंग का इस्तेमाल अपने बिज़नेस के लिए कर सकते हैं? साथ ही साथ आप बैंक में किस प्रकार बिल डिस्काउंटिंग के लिए रिक्वेस्ट दे सकते हैं? Bill Discounting का Format भी आपको इस पोस्ट में मिलेगा|
बिल डिस्काउंटिंग क्या होतीहै? (What is bill discounting)
इसे समझाने के लिए मैं बिल्कुल सिंपल भाषा का इस्तेमाल करुंगा| Bill discounting में बिल ऑफ एक्सचेंज को या Deferred Payment LC (or Usance LC) को बैंक के नाम जारी करके बैंक से एडवांस पेमेंट ले ली जाती है|
जितने भी अमाउंट कि यह बिल ऑफ एक्सचेंज या Deferred Payment LC (or Usance LC) होती है बैंक उसमें अपना ब्याज काटकर बाकी का पैसा दे देता है|
ब्याज इस बात पर निर्भर करता है कि बिल ऑफ एक्सचेंज में या Usance LC में maturity date कितनी लिखी है?
यानी कि यदि 3 महीने बाद की मैच्योरिटी डेट लिखी है तो बैंक 3 महीने का ब्याज काटकर बाकी का पैसा आपको दे देगा|
इस प्रोसेस में Seller को पूरा पैसा नहीं मिलता है ( ब्याज घटाकर) इसलिए इसे बिल डिस्काउंटिंग कहते हैं|
इसके जरिए आप अपने बिज़नेस में वित्तीय कमी को पूरा कर सकते हैं|
बिल डिस्काउंटिंग का उदाहरण
मान लीजिए आप एक Seller हैं|
आपने कुछ गुड्स Deferred Payment LC पर एक्सपोर्ट किया है| यह एल सी 20 लाख रुपए की है|
इस Letter Of Credit में शिपमेंट के 90 दिन बाद की पेमेंट टर्म खुली हुई है|
अब आपके पास में दूसरा आर्डर आ गया| इसको पूरा करने के लिए आपको कुछ पैसों की जरूरत है|
अब आपको यह पता होना चाहिए कि आप यह एल सी अपने बैंक के नाम पर जारी करके अपने बैंक से पैसा ले सकते हैं|
आपका बैंक इस 20 लाख रुपए की lc को रख लेगा तथा 20 लाख पर 90 दिनों का ब्याज काट कर आपको बाकी पैसा दे देगा|
क्योंकि बैंक को पता है कि यह पेमेंट कंफर्म है|
Bill discounting format
Bill discounting में बैंक के क्या नियम शर्त होते हैं?
- इस बिल पर मैच्योरिटी डेट होनी चाहिए यानी यह एक Usance Bill होना चाहिए|
- डिमांड बिल्कुल इसमें सम्मिलित नहीं किया जाता है क्योंकि उसमें मैच्योरिटी की कोई फिक्स डेट नहीं होती|
- Bill पर जारी करने वाले की सहमति होनी चाहिए|
- Seller/Drawee/Companies/Bank प्रतिष्ठित होने चाहिए|
- यह व्यापारिक बिल होना चाहिए|
बिल डिस्काउंटिंग पर आधारित प्रश्न
मान लीजिए राम के पास एक कन्फर्म एल सी है| जोकि 60 दिन बाद मैच्योर होगी | तथा राम के पास में कोई दूसरा आर्डर आ जाता है जिसके लिए उसको तुरंत पैसा चाहिए| तब ऐसी स्थिति में वह बिल डिस्काउंटिंग के जरिए लेटर ऑफ क्रेडिट को बैंक के नाम जारी कर देगा| बैंक उसमें से 60 दिन का ब्याज काटकर बाकी की रकम राम को दे देगा| बैंक को वह पैसा उसकी मैच्योरिटी डेट पर मिल जाएगा|
जी हां, बैंक द्वारा कुछ चीजें देखी जाती हैं जिसमें यह देखा जाता है कि वह बिल एक तय अवधि पर मैच्योर होना चाहिए, बिल पर जारी करने वाले के दस्तखत होने चाहिए, यह बिल व्यापारिक बिल होना चाहिए, तथा जिसने बिल जारी किया है वह प्रतिष्ठित होना चाहिए|
बिल डिस्काउंटिंग के द्वारा व्यापारियों को कंफर्म पेमेंट पर बैंक द्वारा पैसा पहले ही उपलब्ध हो जाता है तथा इससे बैंकों को भी थोड़ी सी कमाई हो जाती है|
जी नहीं, बैंक फ्री में बिल डिस्काउंट नहीं देता इसके लिए मैं थोड़ा सा चार्ज लेता है|
जी हां, यदि आप यह सोचकर बिल डिस्काउंट नहीं लेते कि आपको थोड़ा कम पैसा मिलेगा तो आपको हमेशा यह सोचना चाहिए कि जो पैसा आपको मिला है आप उसे अपने अगले आर्डर में लगा सकते हैं| यदि आपके पास में अगला आर्डर कि कोई भी परिस्थिति नहीं है| आपको यह बिल्कुल कंफर्म है कि इस बिल की मैच्योरिटी से पहले आपको कोई ऑर्डर नहीं मिलेगा तो उस स्थिति में आप बिल डिस्काउंट को इस्तेमाल ना करें तो बेहतर रहेगा|
मेरी राय में भविष्य का सटीक अंदाजा कोई नहीं लगा सकता !!
साथ ही यह अवश्य देखें:
बिल ऑफ एक्सचेंज किस प्रकार काम करता है?
जीएसटी रिवर्स कैलकुलेशन तथा जीएसटी कैलकुलेशन फार्मूला जानना जरुरी है!
लेखक के सुझाव
- यदि आप बिज़नेस में नए हैं तो आपको Usance lc से बचना चाहिए|
- आपको एल सी के बारे में सारी जानकारी होनी चाहिए|
- अपने ब्लॉग पर मैंने इसके बारे में काफी आर्टिकल लिख चुका हूं आप वह सारे पढ़कर उसके बारे में जानकारी ले सकते हैं|
- बैंकिंग किस प्रकार से काम करती है? यह आपको बिजनेस में अवश्य ही पता होना चाहिए|
- आपका एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल कौन सा है? यह आपको पता होना चाहिए|
- My Golden Rule- इस रूल को अपना कर आप कभी भी नुकसान में नहीं रह सकते: “कभी भी बिना पेमेंट कंफर्म किए माल का कब्जा नहीं देना है“
यदि आपको यह पोस्ट पसंद आई हो तो इसे ज्यादा से ज्यादा मात्रा में शेयर करें
तथा इस ब्लॉग को सब्सक्राइब अवश्य करें|
धन्यवाद|